दोस्तों आज बात करने वाले हैं बिहार के एक खास से ले के बारे में एक ऐसा जिला जिसकी सीमाएं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगती है एक ऐसा जिला जहाँ दुनिया का सबसे बड़ा स्तूप मौजूद है
एक ऐसा जिला जो भारत और नेपाल के बीच व्यापारिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है और हाँ, एक ऐसा जिला जहाँ से गाँधीजी ने पहली बार अपने राजनीतिक आंदोलनों की शुरुआत की थी
हम बात कर रहे हैं बिहार के पूर्वी चंपारण यानी मोतिहारी जिले की मोतिहारी बिहार की राजधानी पटना से एक सौ सत्तर किलोमीटर दूर नेपाल की सीमा से लगता है
मोतिहारी को पूर्वी चंपारण का मुख्यालय कहाँ जाता है दोस्तों? ये जिला व्यापारिक दृष्टिकोण से तो भारत के लिए महत्वपूर्ण है
ही साथ ही साथ ये हमारे देश के पच्चीस सौ साल पुराने गौरवशाली इतिहास से जुड़ा है महात्मा बुद्ध जब अपनी ज्ञानार्जन यात्रा में कुशीनगर जा रहे थे
तब वो ऐसे दिन के लिए केसरिया नगर में रुके थे जो इसी मोतिहारी जिले का हिस्सा है दोस्तों अगर कुशीनगर के बारे में जानना चाहते हैं
तो कुशीनगर के बारे में हमने एक और वीडियो बनाया हुआ है जैसे आप डिस्क्रिप्शन और आई बटन में दिए लिंक से देख सकते हैं
मोतिहारी शहर समुद्र तल से दो सौ तीस फिट की उंचाई पर एक सौ बाईस वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है दो हज़ार ग्यारह की जनगणना के अनुसार इस शहर में
करीब एक लाख चौबीस हज़ार लोग करीब एक हज़ार व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर में रहते हैंइस शहर का लिंगानुपात आठ सौ छप्पन महिलाएं प्रति एक हज़ार पुरुष हैं
मोतिहारी की जनसंख्या की औसत साक्षरता दर सत्तासी दशमलव बीस प्रतिशत है उत्तर बिहार में चलते वक्त अगर आपको बी आर शून्य पांच वाली गाड़ियां दिख जाए समझ जाइए मोतिहारी की प्राचीन धरती आपका स्वागत कर रही है
मोतिहारी की स्थलाकृति अद्भुत और दर्शनीय है मोतिहारी शहर को दो हिस्सों में बांटती है यहाँ, सीताकुंड, अरेराज, केसरिया, चंडीस्थान, ढाका जैसी कई जगहें काफी पॉपुलर है
मोतिहारी रेलवे और रोड के माध्यम से भारत के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है यहाँ से नई दिल्ली, मुंबई, जम्मू, कोलकाता और गुवाहाटी के लिए सीधी ट्रेनें जाती है
राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर फॉर्टी टू नेशनल हाइवे नंबर ट्वेंटी एट ए और स्टेट हाइवे फिफ्टी फ़ोर इस शहर से ही गुजरते हैं
निकटतम हवाई अड्डा दरभंगा में मौजूद है जो मोतिहारी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही मौजूद है अब बात करते हैंमोतिहारी में मौजूद कुछ टूरिस्ट अट्रैक्शन्स की पहले नंबर पर है
केसरिया, मुजफ्फरनगर से सेवेंटी टू किलोमीटर और चकिया से बाईस किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में मौजूद एक स्थान है
भारतीय पुरातत्विक विभाग के द्वारा उन्नीस सौ अट्ठानवे में खुदाई के दौरान यहाँ पर बौद्ध स्तूप मिला था माना जाता है
कि यह स्तूप विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है अगला है गाँधी स्मारक स्तंभ भारत में अपने राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत गाँधी ने चंपारण से ही सुरुवात की थी
ज़मीदारों द्वारा जबरन नील की खेती कराने का सर्वप्रथम विरोध महात्मा गाँधी के नेतृत्व में यहाँ के स्थानीय लोगों द्वारा ही किया गया था
स्थान पर गांधीजी की अड़तालीस फिट लंबी प्रतिमा का निर्माण किया गया है अगला है ढाका मोतिहारी शहर से इक्कीस किलोमीटर पूर्व में मौजूद ढाका
एक ऐतिहासिक शहर है जो नेपाल के सीमा पर मौजूद हैं ढाका से नेपाल की दूरी लगभग पच्चीस किलोमीटर के आसपास है