बक्सर के चौसा में बन रहे पावर प्लांट को अब बनने में बहुत ज्यादा टाइम नहीं लगने वाला है जी हाँ दोस्तों आपको बताया की ये पावर प्लांट बिहार के लिए इतना ज्यादा जरूरी है
बक्सर के चौसा में बन रहे पावर प्लांट को अब बनने में बहुत ज्यादा टाइम नहीं लगने वाला है जी हाँ दोस्तों आपको बताया की ये पावर प्लांट बिहार के लिए इतना ज्यादा जरूरी है
काफी प्रयास के बाद निर्माणाधीन थर्मल पावर कॉम्प्लेक्स में सुरक्षित रूप से पहुंचाया गया है बिजली पैदा करने में इसकी प्रमुख भूमिका मानी जा रही है
इसे गुरुवार को शाम चार बजे हाजीपुर घाट से रवाना किया गया और शनिवार को दोपहर बारह बजे ताप विद्युत परिसर पहुंचा एक सौ बानवे
पहियों वाले ट्रक को पांच किलोमीटर की दूरी तय करने में उसे सुरक्षित रूप से पहुंचने में तीन दिन लग गए वहीं शनिवार को चौसा स्थित
अठहत्तर ए रेलवे क्रॉसिंग को पार करने के लिए रेल विभाग के कर्मचारी व अधिकारी समय से पहुंचे गट्ठर उठाकर दोपहर बारह बजे से पहले पार करने में सफल हुए जिसके बाद रेल पटरी को बहाल किया गया
हालांकि रेलवे ने अनुमति ऐसे समय में दी थी जब किसी भी ट्रेन को ब्लॉक होने के कारण ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा था बक्सर जिले
के चौसा में केंद्र सरकार की सबसे बड़ी परियोजना तेरह सौ बीस मेगावॉट ताप विद्युत का निर्माण तेजी से किया जा रहा है रेलवे लाइन के लिए उपकरण, टरबाइन, जेनरेटर भी तीन घंटे के लिए बंद कर दिया गया था
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने नौ मार्च दो हज़ार उन्नीस को तेरह सौ बीस मेगावॉट के इस प्लांट की आधारशिला रखी थी पीएमओ और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री कार्यालय द्वारा इसकी लगातार निगरानी की जा रही है
ग्रीनफील्ड सुपर क्रिटिकल तकनीक वाली इस परियोजना की लागत लगभग ग्यारह हज़ार करोड़ रुपये है इसे एसजेवीएन की पूर्व स्वामित्व वाली कंपनी एसजेवीएन थर्मल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाया जा रहा है
चालू होने के बाद इस प्लांट से अठानवे सौ अट्ठाईस मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा समझौते के तहत प्लांट से पैदा
होने वाली बिजली का पचासी फीसदी बिहार को दिया जाएगा जिसके बाद यह माना जा रहा है कि बिहार में एक बार फिर से बिजली क्रांति पैदा होगी