बिहार एक ऐसा राज्य है जिसका नाम सुनते ही आईएएस, आईपीएस, सरकारी बाबू, मेहनती, रिक्शावाला और न जाने कितने ही छवि हमारे जेहन में बनने लगती है 

भारत की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी को क्लियर करने वालों में बिहार के स्टूडेंट ही सबसे आगे रहते हैं यह सुनकर मन को जो खुशी मीलती है 

यह एक बिहारी से ज्यादा कौन समझ सकता है? लेकिन वही बिहारी मेहनत मजदूरी कर रहे रिक्शा चलाकर पेट पालने के लिए भी मजबूर हैं 

मन में एक सवाल बार बार उठता है कि किसी को बिहारी कहना भला गाली कैसे हो सकता है? दिल्ली, पंजाब, मुंबई जैसे शहरों में बिहार से आए व्यक्तियों को ही नजर से क्यों देखा जाता है 

क्यों बिहार गरीब राज्य बनता जा रहा है? जो राज्य सबसे ज्यादा आला अफसरों को पैदा करता है वो राज्य इतना गरीब कैसे हो सकता है 

दोस्तों, बिहार हमारे देश का एक ऐसा राज्य है जिसकी पर कैपिटल जीडीपी सबसे कम है उन्नीस सौ पचास में बिहार जीडीपी के मामले में पंजाब से आगे हुआ करता था 

लेकिन आज के समय में पंजाब जीडीपी के मामले में बिहार से चार गुना ज्यादा तेजी से ऊपर है एक समय में बिहार मोस्ट पावरफुल स्टेट था 

जिससे यहाँ की जमीन सबसे ज्यादा उपजाऊ तो है पर ये फायदे के साथ साथ सबसे बड़ा दुर्भाग्य भी है क्योंकि फसल अच्छी होती है 

तो बाढ़ में तबाह होने से भी कोई रोक नहीं सकता हालांकि बिहार को बर्बाद करने में ब्रिटिशर्स ने भी एक अहम रोल निभाया था 

लेकिन बिहार को बर्बाद करने वाली सबसे बड़ी गलती जो हुई है वह उन्नीस सौ पचास में इंडियन गवर्नमेंट ने एक पॉलिसी लागू किया था 

जिसका नाम था फिट इक्वलाइजेशन पॉलिसी जिससे बिहार को सबसे बड़ा झटका लगा था  उसमें हुआ ये था की जो मिनरल्स बिहार से दूसरे राज्यों में ट्रांसपोर्ट किया जाता था 

तो उसके ऊपर तो सब्सिडी दी जाती थी जेनरली कोई भी मिनरल रिच रीज़न होता था जैसे बिहार और झारखंड को मिनरल्स के लिए जाना जाता है आयरन, कॉपर, कोयला ऐसे और कई मिनरल्स यहाँ पर मिलते हैं 

क्योंकि अब तक गवर्नमेंट सब्सिडी दे रही थी यहाँ से मिनरल्स को निकाल कर किसी दूसरे राज्यों में ले जाने के लिए लेकिन टाटा 

और दूसरे कंपनियों ने यह तय किया बिहार के बदले में किसी भी कौशल इंजन में अपनी प्रैक्टिस सेट अप करें   ताकि जब वो मिनरल्स को लाकर प्रोसेसेस करें 

और जब फाइनल मॉडल तैयार कर लेते तो उन्हें एक्सपोर्ट करने में ज्यादा सस्ता पड़े इस वजह से बिहार में लो क्वालिटी लेबर मिनिस्ट्री डेवलप हुआ 

कोई लेबर इसके आगे कुछ सीख ही नहीं पाया इस वजह से जो रिफाइनिंग का काम होता है, जो बड़ी मेटल फैक्टरी होती है,  

जो पूरा का पूरा सप्लाई चैन होता है माइनिंग इंडस्ट्री को रद्द करने के लिए ये बिहार, झारखंड में कभी भी डेवलप हो ही नहीं पाया

और साल उन्नीस सौ इक्यानवे तक ऐसा ही होता रहा की महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु जैसे राज्यों में बिहार से ट्रेन भर भर के मिनरल्स जाते  रहे हैं