दोस्तों एक बार फिर से आप सभी लोगों का स्वागत है एक नई ज्ञान के साथ और आज हम बात करने वाले हैं मुंडेश्वरी देवी मंदिर के इतिहास और उसके राज के बारे में यहाँ एक पहाड़ है क्योंकि मंदिर भी इसी पहाड़ के ऊपर स्थित है तो आप लोग साथ में बने रहिएगा,
अगर आप इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह मंदिर आपका तकरीबन सातवीं शताब्दी में बना था यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक जाना जाता है कहा जाता है कि इस मंदिर का खोज यहाँ के कुछ सिथानियो गडरिया ने खोजा था तकरीबन 25-30 साल पहले लोगों को पता चला और आज की स्थिति में या मंदिर धार्मिक न्यास बोर्ड बिहार सरकार द्वारा अस्व्स्तित किया गया और यहां पर पूजा अर्चना की व्यवस्था की गई,
माँ मुंडेश्वरी मंदिरम का इतिहास जाने मंदिर की खास बाते
पूर्णिमा तक यहां पर एक मेला भी लगता है जिसमें देश के कोने-कोने से लोग यहां पर पूजा अर्चना के लिए आते हैं अपनी मनोकामना को पूरा करते हैं काफी प्रसिद्ध मंदिर है काफी दूर-दूर से लोग इस मंदिर को देखने आते हैं क्योंकि यह मंदिर पहले काफी भव्य मंदिर होगा क्योंकि यहां के लोग बताते हैं कि किस मुगल शासक ने इस मंदिर को क्षति पहुंचाया गया था,
कुछ लोगों का मानना है कि यह मंदिर भूकंप के झटकों से ढेह गया था जिसकी वजह से इसके चारों तरफ आप देखेंगे तो भारी तादात में पूरा मलबा पड़ा हुआ है और उस मलबे में भारी तादाद में बेशकीमती मूर्तियां भी पाई गई थी जो कि आज की स्थिति में वह जितने भी सारे बेशकीमती मूर्तियां हैं इसी पहाड़ के नीचे एक छोटा सा संग्रहालय बनाया गया है बिहार सरकार द्वारा और उन सभी मूर्तियों को उस में रखा गया है सुरक्षित किया गया है

पूरा स्थल से प्राप्त आधारशिला उससे पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा उदय सिंह ने कराया था हलाकि कि ये मंदिर कितना पुराना है इस बात का अच्छी तरह से प्रमाण भी नहीं मिल पाता क्योंकि यहां पर असे असे मूर्तियों पर दीवारों की गई है नाताशिया की गयी है की अच्छी तरह से पता भी नहीं चल पाता कितना प्राचीन रहा होगा,
यहां पर जितना भी मूर्तियां पाई गई हैं वह बिहार सरकार द्वारा अधिकृत किया गया है एक छोटा से मुस्जिय्म बनाया गया है मंदिर की दीवारों पर जितनी अच्छी ना कातिया की गई है पहले के लोग कैसे-कैसे कलाकार थे क्या-क्या चीजें इस मंदिर पर बनाया गया है
आप देख सकते हैं इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंदिर बेहद प्राचीन होगा यहां पर सबसे आश्चर्य और चौंकाने वाली बात यह है कि यहां पर जो पशु बलि की जो प्रथा है वह बहुत ही एक चमत्कार वाली बात है आप सोच भी नहीं सकते कि यह कैसा चमत्कार तो हम आपको बता रहे हैं कि यहां पर जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है,
read also-
बिहार के सबसे रंगबाज़ जिला जो 90 के दर्शक में पुरे भारत में फेमस था
बिहार के टॉप 10 अमीर जिला,बिहार का कौन सा जिला सबसे अमीर है?
वहां पर बकरे की बलि चढ़ाने आता है लेकिन वह जो बकरा बकरा मंदिर के अंदर ले जाया जाता है और जो मंदिर के अंदर जो पुजारी जी होते हैं उस बकरे पर चावल के 2 – 4 दाने फेंकते हैं और बकरा वहीं पर बेसुध ओ जाता है और कुछ टाइम के बाद फिर उसी बकरे पर चावल का दाना फेंका जाता है तो वह बकरा तुरंत खड़ा होता है और बाहर भाग जाता है तो बकरे की असी बलि की प्रथा आज तक हमने भी कभी नहीं सुनी थी यहीं पर यह मान्यता है कि जो माता मुंडेश्वरी देवी है वह बिना जीव हत्या किए लोगों की बलि ले लेती हैं
,बिना रक्त बहाए बलि ले लेती है यहां पर बकरे की हत्या नहीं की जाती, तो आप इसे एक चमत्कार भी कर सकते हैं क्योंकि हर कोई इस को अगर देखता है अपनी आंखों से तो वह भी चौक जाता है बहुत ही आश्चर्य वाली बात है इसीलिए यह मंदिर आपका पूरे देश भर में प्रसिद्ध है और काफी संख्या में लोग यहां पर दर्शन के लिए आते रहते हैं,
मुंडेश्वरी मंदिर कब बनाया गया था?
मंदिर के गर्भ गिरी के अंडर माता मुंडेश्वरी देवी का एक बेहद काले रंग के 3:30 फुट की मूर्ति भी है जो कि बहुत ही बेशकीमती मूर्ति है और इसी घर के अंदर भगवान शिव जी का पंचमुखी शिवलिंग भी है जो कि लोग बताते हैं कि यह अपने आप इसका कलर बदलता रहता है और यह भी बहुत अच्छी बात है कि यह भला कैसे हो सकता है लेकिन यह हकीकत है तो यही इस मंदिर की
खासियत है इसीलिए लोग देश के कोने-कोने से इस मंदिर पर आते हैं इस मंदिर पर दर्शन करते हैं उनकी मनोकामना पूरी होती है क्योंकि जो कोई भी एक बार आया वह खाली हाथ भी नहीं जाता है ऐसी मान्यता है