History of Mithila,मिथिला का इतिहास
मिथिला हाँ वही मिला जो जगतजननी माँ सीता का जन्म भूमि है, जिसका वर्णन हमारे वेदों और प्राणों में बड़े ही आसानी से मिल जाता है जहाँ की भूमि ने अनेक प्रतापी राजाओं को जन्म दिया है तो चलिए हम जानते हैं आज उसी मिथिला के बारे में
एक समय ऐसा था जब मिथिला भारत का एक राज्य हुआ करता था, लेकिन वर्तमान में मिथिला एक सांस्कृतिक क्षेत्र बन के रह गया है मिथिला की लोकप्रियता कई सदियों से चली आ रही है जो अपने परंपरा के कारण भारत और भारत के बाहर भी जाने जाते हैं यहाँ की मुख्य भाषा मैथिली हैं
जो नेपाल के कई इलाकों में बोली जाती है मिथिला का संकेत सबसे पहले सतपती ब्राह्मण में मिला था और स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में पाया जाता है
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रामायण के साथ साथ महाभारत जैन और बौद्ध धर्म में स्पष्ट रूप से पाया गया है प्राचीन काल में मिथिला का नाम भी दे और तिरहुत भी हुआ करता था गंगा और हिमालय के बीच बसे मिथिला के अंतर्गत स्कूल पंद्रह नदिया बहती है
मिथिला बिहार के उत्तर दिशा में अवस्थित है पूरब में महानंदा नदी, पश्चिम में गंडक नदी, उत्तर में नेपाल और दक्षिण में गंगा नदी है अगर पहनावे की बात करें तो यहाँ की मुख्य वस्त्र, धोती, कुर्ता और सारी है
पर समय के साथ साथ पहनावा में काफी परिवर्तन आ चुका है यहाँ की एक कला बहुत ही प्रसिद्ध है जी हाँ, मिथिला पेंटिंग प्राकृतिक रंग से बनाया गया पेंटिंग बहुत ही सुंदर और मनमोहक होता है जिसकारण से यह पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है
बात करे मिथिला की और भोजन की बात ना हो जिसप्रकार सभी राज्य मेँ एक विशेष प्रकार का भोजन होता है, उसी प्रकार मिथिला में भी कुछ प्रसिद्ध भोजन है ला में मुख्यता तीन भोजन विशेष है
केला पोल और मछली वैसे तो मिथिला में भोजन का भंडार है जैसे तरवां, पापड़, तिलौड़ी बहुत ही अलग अलग व्यंजन है और हम जितना मिथिला का वर्णन करेंगे, उतना ही कम पड़ेगा