दोस्तों आज हम बाते करने जा रहे है बिहार के रंगबाज़ सहरो के बारे में हालांकि रंगबाजी ज्यादातर 90 के सफर में होती थी जब भी हार जंगलराज के लिए फेमस हो चुका था अपहरण गंगाजल और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्में भी बिहार के 90 के दशक को दर्शाती है हालांकि बीते दिनों की
बातें हो चुकी है पर दामन पर लगा दिया दाग जाते जाते ही जाएगा बिहार के लोगों ने एक ऐसा वक्त भी देखा है जब सूरज ढलने के बाद लोग अपने घरों से निकलना भी नहीं चाहते थे तो चलिए दोस्तों बात करते हैं बिहार के उन शहरों की जो कभी अपने रंग बाजो की वजह से फेमस हुए थे या दोस्त को सबसे पहले नंबर वन पर है
बिहार के सबसे रंगबाज़ जिला जो 90 के दर्शक में पुरे भारत में फेमस था
सिवान
सिवान को कौन नहीं जानता तभी सिवान और शहाबुद्दीन अखबारों की सुर्खियों में रहते थे वहां बाहुबली कवच वह कभी इतना ज्यादा था कि लोग ज्यादा पैसा कमाने से भी डरने लगे थे और तेजाब कांड ने तो सिवान को देश भर में सुर्खियों में ला दिया था भला सिवान की इन सब बातों को कौन नहीं जानता है
आरा
तो नंबर दो की
बात करते हैं आरा शहर भी 90 के दशक में गुटों में मारपीट और लड़ाई झगड़े के लिए काफी फेमस रहा था वैसे आरा बिहार की राजधानी पटना से केवल 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां भी गुंडई कभी चरम पर हुआ करता था यहां गोली चली आना तो जैसे आम बात थी हर दिन बाजार में हलचल हो ना जैसे बिल्कुल आम हो चुका था
ये भी पढ़े
- 1.बिहार के टॉप 10 अमीर जिला,बिहार का कौन सा जिला सबसे अमीर है?
- 2.बिहार के वो पाच शहर जो कभी औद्योगिक के केंद्र हुआ करते थे
- समस्तीपुर जिला का इतिहास,समस्तीपुर इतिहास,समस्तीपुर का पुराना नाम क्या है?
- 4.दरभंगा एम्स क्यों नही बन रहा है,दरभंगा एम्स हॉस्पिटल
बेगूसराय
तो वहीं तीन नंबर पर बात करते हैं
अब बात करते है बेगूसराय की बात दबंग और बेगूसराय का नाम ना आए ऐसा तो हो नहीं सकता एक जमाना था जब बेगूसराय अपनी दबंगई की वजह से delhi तक में फेमस हो चूका था,
यहां एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें गरीबों का मसीहा माना जाता था और विरोधियों ने माफिया कहते थे हालांकि बेगूसराय में भी 90 का दौर जारी रहा था दूसरा बंदूक के बल पर फैसले होना वहां आम बात हो चुका था धीरे-धीरे बादल को चीरकर सूरज की रोशनी धरती पर पहला ही देता है,
तो आप बिहार भी इन चीजों से काफी हद तक सुधर चुका है पर पूरी तरह बिल्कुल नहीं अब बिहार में भी कम हुई है तो लड़कियां भी घरों से निकलकर स्कूलों तक चली जाती हैं
अब बिहार में बदलाव आया है और निखार बिहार में अब तक कुछ नहीं बदला है तो रोजगार की दुर्दशा है बिहार से गुंडे कम हुए पर बेरोजगारी ने बिहार में छात्र बड़े शिक्षा पाने के बाद नौकरी नहीं,
पर अभी भी बिहार के लोगो को अभी भी काम के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है नई कंपनियां लगाने की तो बातें होती हैं पर बंद पुरानेकंपनियों को खोलने की बात नहीं होती इस में बदलाव आया है और कुछ चीजों में बदलाव की जरूरत है